शिक्षाकर्मियों का होगा संविलियन: मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह

राज्य के पंचायत-नगरीय निकाय संवंर्ग के शिक्षकों को मिली ऐतिहासिक सौगात



छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अध्यापन का काम पूर्ण जिम्मेदारी के साथ कर रहें शिक्षकों को सरकार ले शिक्षकर्मी कह कर जो गुरू की गरिमा को छोटा करके आंकने का जो साहस किया था वह अब उनके लिये भारी पड़ता जान पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह की सरकार अपनी चौथी पारी की तैयारी में है ऐसे में उनकी चुनावी स​मीकरण बिगड़ने की आशंका शिक्षकों की ओर से है। प्रदेश के स्कूलों में लगभग 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मी कार्यरत है, सभी जिलों में। इसके अनुसार उनके घर ​परिवार के वोटरों की गणना करे तो पार्टी मुसकिल में आ सकती है।



बहरहाल आजकल रमन सरकार अपनी सरकार की विकासकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और चौथी पारी के लिये जनता को मनाने में लगे हुये है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि सरकार विकास यात्रा के दौरान जितने फैसले लेकर काम कर रही है उतना तो 365 दिन काम करने पर भी नहीं किया जा सकता है। इससे साफ जाहिर होता है कि उनका विकास यात्रा मिशन 2019 का चुनाव है।




चौथी पारी में कोई कोर कसर न रह जाये इसलिये जहां उनका कारवा निकलता है वहां सौगातों की बरसात होने लगती है। कभी गैस सलेन्डर बांटते है तो कभी चरण पादूका तो कभी रेडियों और कंबल। साथ ही करोड़ों का भूमि पूजन करते है वो अलग। आगे आने वाले कुछ दिनों में लोगों के हाथों में मुफ्त का मोबाइल दिखाई देगा। मोबाइल योजना के लिये हितग्राही चुन लिये गये कि किसे दिया जाना है, निकायों द्वारा फार्म भरवाया जा रहा है।




शायद रमन सिंह जी ने विकास यात्रा के दरमियान ये अनुभव किया कि प्रदेश में यदि कोई दुखी और असंतुष्ट है तो वह है प्रदेश के डेढ़ लाख शिक्षाकर्मी ​जो कई बार आंदोलन कर अपनी बात सरकार तक पहुंचा चुके है। इसी का परिणाम है कि उनको पार्टी के कें​द्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मशवरा कर शिक्षाकर्मियों की संविलियन की घोषण करनी पड़ी।



सरगुजा संभाग और जिले के मुख्यालय अम्बिकापुर में आयोजित विशाल आमसभा उन्होंने कहा कि मैं एक घोषणा भी करना चाहता हूं, जो शायद छत्तीसगढ़ के लिए महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ की युवा पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है। हमारे प्रदेश के स्कूली बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में शिक्षा कर्मियों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नियमित शिक्षकों और शिक्षा कर्मियों की सेवा शर्तों और सुविधाओं में काफी अंतर था। इस संदर्भ में विस्तृत अध्ययन करने और अनुशंसा देने हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गईं। समिति में अध्ययन और विचार-विमर्श के उपरांत आठ जून को अपनी रिपोर्ट मुझे सौंपी है। मैं माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की उपस्थिति में घोषणा करता हूं कि शिक्षा कर्मियों का संविलियन किया जाएगा।




जब​ मुख्यमंत्री द्वारा ​शिक्षाकर्मियों की संविलियन की आमसभा में घोषण हुई उस वक्त मंच पर सर्व श्री अमित शाह और डॉ. रमन सिंह के अलावा विष्णुदेव साय, गौरी शंकर अग्रवाल, नंदकुमार साय, रामसेवक पैकरा, राजेश मूणत, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, केदार कश्यप, पुन्नूलाल मोहले, भईया लाल राजवाड़े, महेश गागड़ा, दयाल दास बघेल, सुश्री सरोज पाण्डेय, धरमलाल कौशिक, रामविचार नेताम, कमल भान सिंह, संसदीय सचिव श्रीमती चम्पादेवी पावले सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ अधिकारी और अपार जनसमूह में उपस्थित थे।


शिक्षाकर्मी संघ- हालाकि शिक्षाकर्मी इस घोषणा से प्रसन्न जरूर है पर उन्हे विश्वास तभी होगा जब उनके पास संविलियन का काई पुख्ता आदेश आयेगा। इस तरह से मंच से घोषणा करना और आधिकारिक रूप से आदेश पारित करना दोनो अलग-अलग है। ऐसा भी हो सकता है कि हर बार की तरह इस बार भी​ शिक्षाकमिर्यों को मनाने के लिये घोषणा किये हो। यदि ऐसा हुआ तो उनको काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है मिशन 2019 में। वर्षो संघर्ष करने के बाद आश्वासन और घोषणा सुनने के आदि हो चुके है, इस बार आर-पार तो होगी ही।