रायपुर। नया रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ संवाद के नवनिर्मित भवन में मीडिया संगोष्ठी के रूप में संवाद और जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों की राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। प्रथम सत्र में मीडिया की सामाजिक जिम्मेदारी विषय पर छत्तीसगढ़ी वेबसाइट ’गुरतुर गोठ’ के सम्पादक संजीव तिवारी और ब्लॉगर ललित शर्मा ने सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में समाचार और विचार विषय पर अपनी बात रखी।
’मीडिया की सामाजिक जिम्मेदारी’ विषय पर सुनील कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया परम्परागत मीडिया का विकल्प नहीं हो सकता, लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि वह पारम्परिक मीडिया को चुनौती देते हुए हमारे सामने खड़ा है। मुझे अखबारों की सामाजिक जवाबदेही पर गर्व है। आज भी मीडिया के दूसरे हिस्सों के मुकाबले आज भी अधिकांश अखबार सामाजिक जिम्मेदारी की भावना के साथ काम कर रहे हैं। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु द्विवेदी ने प्रिंट मीडिया में रिपोर्टिंग और समाचार लेखन पर अपने व्याख्यान में कहा कि समाचार लेखन में कई तरह के दबाव और कई तरह की चुनौतियां भी होती है, लेकिन जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों पर सरकार के छवि निर्माण की बड़ी जिम्मेदारी है। उनका काम सिर्फ सूचना देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि सरकारी सूचनाओं को समाचार के रूप में इस प्रकार प्रस्तुत करना चाहिए कि उनकी पठनीयता और विश्वसनीयता बनी रहे।
संगोष्ठी के तीसरे सत्र सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में समाचार और विचार विषय पर केन्द्रित रहा। इसमें अहमदाबाद के श्री हिमांशु भायानी ने कहा-आज के दौर में वाट्सएप और फेसबुक जैसे नये माध्यमों के जरिए सूचनाओं और संदेशों की बमबारी हो रही है। एक आंकलन के अनुसार वाट्सएप में हर घण्टे लगभग 600 संदेश आते हैं। उनमें से सही और गलत की पहचान करना हम सबके विवेक पर निर्भर करता है। सोशल मीडिया के आने से जिस किसी के पास स्मार्ट फोन है, वह स्वयं को पत्रकार समझने लगता है, जबकि ऐसा नहीं है। सोशल मीडिया का डिजिटल प्लेटफार्म खबरों के रोमांच को कम करता जा रहा है।
छत्तीसगढ़ी वेब पोर्टल ’गुरतुर गोठ’ के सम्पादक श्री संजीव तिवारी ने कहा-जनता की भलाई के लिए सरकार की अनेक योजनाएं चल रही हैं। जनसम्पर्क अधिकारी अपने-अपने जिलों में इन योजनाओं के तहत हो रहे कार्यों को फोटो के साथ सहज-सरल शब्दों में और संक्षेप में ट्विटर के जरिए भी लोगों तक प्रेषित कर सकते हैं। इससे शासन की बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगी। श्री तिवारी ने कहा- छत्तीसगढ़ में भी निजी अथवा व्यक्तिगत वेबपोर्टलों की भरमार है, लेकिन यह खुशी की बात है कि उनकी तुलना में आज भी जनसम्पर्क विभाग की वेबसाइट को देखने और पढ़ने वालों की संख्या सबसे अधिक है और एलेक्सा रेंकिंग में भी जनसम्पर्क की वेबसाइट सबसे आगे है।
ब्लॉगर श्री ललित शर्मा ने कहा-अखबार, रेडियो और टेलीविजन के दौर से गुजरते हुए मीडिया अब सोशल मीडिया के रूप में हमारे सामने है। आज से लगभग 12 साल पहले जब सोशल मीडिया का दौर शुरू हुआ, तब लोगों को इसकी ताकत का अंदाजा नहीं था। अब सोशल मीडिया का एक ऐसा दौर आ गया है, जो आगे चलकर खतरनाक भी हो सकता है। सिर्फ 150 शब्दों का एक ट्विटर संदेश दुनिया के किसी भी बड़े भू-भाग को प्रभावित कर सकता है। उसके तथ्य अगर सकारात्मक हुए तो प्रभाव भी सकारात्मक होगा, लेकिन यदि तथ्य नकारात्मक हुए तो असर भी नकारात्मक होगा। श्री शर्मा ने कहा-सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता पर निर्भर है कि वह इसका उपयोग किस दृष्टिकोण से और किस उद्देश्य से कर रहा है ? उन्होंने कहा कि शासकीय प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कल्पनाशीलता के साथ किया जा सकता है।