आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लौटे काम पर, 4 मांगों पर बनी सहमती



रायपुर। छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका संघ के बैनर तले चल रहा हड़ताल समाप्त कर हो गया है। 50 दिनों से धरने पर बैठी संघ की महिलाओं से कोई भी जिम्मेदार अधिकारी सार्थक पहल नहीं कर रहा था, साथ ही बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को कार्यमुक्त करने की कार्यवाही की जा रही थी जिसके कारण अंदोलन और उग्र हो गया। कार्य​कर्ता आमरण अनशन पर बैठ गई तथा जल सत्याग्रह करने की तैयारी में थी। सरकार ने उनकी एकता को तोड़कर हड़ताल समाप्त कराने की भरसक प्रयास किया ​किन्तु नारी शक्ति के आगे हार गई। शुरू से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस संकल्प के साथ बैठी थी कि जब तक मांगे नहीं मानी जाती तब तक हड़ताल जारी रहेगा। 

सरकार ने कार्यकर्ताओं को बरखास्त करने के दौरा जो दलिल दिया है उसे गौर करे तो उनका कहना है कि हड़ताल से पोषण आहार का काम प्रभावित हो रहा है। गर्भवती, धात्री माता के साथ ही नवजातों के विषय में सरकार तक जानकारी नहीं पहुंच रही है। यदि सरकार को उनका इतना जरूरी लगता है तो उनके हड़ताल को जल्द से जल्द से खत्म कराने के लिये क्यों कोई सार्थक पहल नहीं की गई। 50 दिनों तक कार्यकर्ता बैठी रही धरने पर और प्रशासन उनको बरखास्त करने में लगा रहा, जबकी उनकी मांगे जायज भी है। वेतन से गई गुणा उनसे काम लिया जाता है। साथी दूसरे विभाग का काम भी उन्ही के मत्थे मड़ दिया जाता है।

सरकार ने जो प्रमुख मांगे मानी है उसमें अब उनको भी कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जावेगा, अन्य विभाग का काम नहीं करायेंगे, अनुग्रह राशि 10 हजार से बड़ाकर 50 की गई और सुपरवाईजर पद पर भर्ती में आयु सीमा उनपर लागु नहीं होगी। सरकार के इस पहल से प्रदेश भर लगभग 30 हजार कार्यकताओं सहायिकाओं में प्रसन्नता है वह भी अब अपने घर परिवार का भरन-पोषण ठीक से कर पायेंगे।