छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति अद्वितीय है : राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके

बालोद ए.। बालोद जिले के राजाराव पठार में सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित ‘वीर मेला’ के तहत आदिवासी हाट एवं लोककला महोत्सव का आयो​जन किया गया। जिसमें राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके तथा अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री नन्दकुमार साय विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर राज्यपाल सुश्री उइके देव पूजा कार्यक्रम में शामिल हुई और आदिवासी हाट का अवलोकन किया। 

राज्यपाल सुश्री उइके ने विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति अद्वितीय है और विशिष्ट सांस्कृतिक विशेषता लिए हुए है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले जनजातीय क्षेत्रों में विकास की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। आदिवासी लंबे समय तक विकास की रोशनी से कोसों दूर रहकर समाज की मुख्यधारा से कटे रहे। स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में जनजातियों के विकास और उत्थान के लिए व्यापक प्रयासों की शुरूआत की गई। भारतीय संविधान में जनजातियों की सुरक्षा के साथ-साथ उनके सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक विकास के लिए अनेक संवैधानिक प्रावधान किए गए। जब वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष थी तो देश के विभिन्न स्थानों में विस्थापितों को उचित मुआवजा दिलवाया था। उन्होंने आग्रह किया कि आदिवासियों के हित में काम करने वाले संस्थाएं ऐसे प्रकरणों में हक दिलाने के लिए सामने आएं। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री नन्दकुमार साय ने कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर वीर मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं कांकेर विधायक श्री एस.पी. सोरी, सिहावा विधायक श्रीमती लक्ष्मी ध्रुव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविन्द नेताम, पूर्व सांसद श्री सोहन पोटाई सहित सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी और बालोद, कांकेर तथा धमतरी जिलों से आए बड़ी संख्या में आए आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।