कला गुरूओं का सम्मान तथा प्रतिभागियों की मंचीय प्रदर्शन ने समां बांधा
आकार 2018 का हुआ रंगारंग समापन
रायपुर। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर आकार-2018 का 20 दिवसीय आयोजन शिल्पगढ़ परिसर में किया गया था। पारंपरिक कला से रूबरू कराता यह आयोजन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है जो राजधानी रायपुर के अलावा बिलासपुर, अंबिकापुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, कुरूद तथा नवागढ़ में भी आयोजित होती है।
दो पालियों में आयोजित आकार शिविर में पेंटिंग, पेपर कटिंग, गोदना पेंटिग, रजवाड़ा, मधुबनी, म्यूरल आर्ट, लोक नृत्य, कथक, मार्शल आर्ट, ड्रामा आदि विधाओं में लगभग सौकड़ों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया विभाग द्वारा प्रमाण पत्र की प्रदान किया जायेगा। रायपुर के आकार का समापन 21 मई को किया गया जिसमें अतिथि के रूप में उपस्थित थे विभाग के संचालक जितेन्द्र कुमार शुक्ला, पद्मश्री डॉ. अरूण कुमार शर्मा, डॉ. प्रताप पारख, डॉ. जेआर भगत ने सभी गुरूओं का सम्मान किया । शिविर में प्रशिक्षण देने वाले कलागुरूओं के सम्मान समारोह के बाद बच्चों द्वारा तैयार की गई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां भी हुई। छत्तीसगढ़ी लोक गीत, कथक, भरतनाट्यम तथा मार्शल आर्ट के बाद श्री संजय मैथिल द्वारा निर्देशित नाटक 'नेता के ता' का मंचन भी हुआ।
नाटक के सभी प्रतिभागी कलाकारों ने बेहतरीन प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिये। मंचन के दौरान तनिक भी यह नहीं लग रहा था ये बच्चे पहली बार मंच में अपनी प्रस्तुति दे रहे है। धुआधार संवाद और संगीत के साथ तालमेल मंजे हुये कलाकारों की तरह थी। प्रत्येक सवांद पर दर्शकों का खिलखिला इस बात का गवाह है कि श्री संजय मैथिल बच्चों पर बहुत मेहनत किये है बच्चों ने भी मंच में गुरू का मान बढ़ाया।
खास तथ्य— इस वर्ष आकार प्रशिक्षण शिविर में किसी भी विधा के सिद्धहस्त कलाकार नहीं दिखे एक-दो को छोड़कर। पिछले कुछ वर्षो के आकार से तुलना की जाये जो लोग ठगा सा महसूस कर रहे है। लोग मधुबनी, गोदना, म्यूरल, रजवाड़ा आदि विधाओं में यह सोचकर प्रवेश लेते है उन्हे उस विधा के महान कलाकारों से सीखने का अवसर प्राप्त होगा। लेकिन जब प्रशिक्षण लेने प्रतिभागी आते है तो उन्हे मालूम होता है कि ये भी यही आकार में ही सीखे है और शौकिया कलाकार है। कम से कम संस्कृति विभाग से ऐसी उम्मीद नहीं थी जबकि विभाग के पास सिद्धहस्त कलाकारों की लम्बी लिस्ट है।