छत्तीसगढ़ ए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने लोगों से लू से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की अपील की है। इसके अलावा मौसमी बीमारियों से बचने के उपाय भी बताया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण लू लगने की संभावना अत्यधिक रहती है। यह कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो सकती है। लेकिन कुछ सरल उपाय का पालन कर लू से बचा जा सकता है।
लू लगने का लक्षण
- बहुत तेज बुखार आना,
- पसीना न निकालना,
- सिर में दर्द,
- हाथ पैर में दर्द,
- त्वचा का लाल होना,
- चक्कर आना, बेहोशी इत्यादि है।
लू से बचने के उपाय
- जहां तक संभव हो सके दोपहर के धूप में निकलने से बचे,
- दोपहर में अगर धूप मे निकलना जरूरी हो तो खाली पेट घर से बाहर न निकले,
- शरीर को पूरी तरह ढकने वाले सफेद या हल्के रंग के सूती कपड़ा पहने,
- सिर और चेहरे को भी कपड़े से ढक कर रखे आंखो के बचाव के लिये धूप का चश्मा उपयोग कर सकते है,
- दोपहर की गर्मी में अधिक शारीरिक श्रम से बचे
- और यदि श्रम करना आवश्यक ही है तो हर आधे घंटे के बाद 10 मिनट के लिये छांव में आराम करे,
- पानी एवं अन्य तरल पदार्थाें का अधिक से अधिक सेवन करे,
- मादक पदार्थों के सेवन से बचे, चाय या काफी का अधिक सेवन न करे। इन उपायों के पालन करने से लू से बचा जा सकता है।
एजेंसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य संचालक ने विभाग के मैदानी अमले को मुख्यालय में नियमित रूप से रहकर क्षेत्र की स्थिति पर निगरानी रखने के निर्देश भी दिए। निर्देश में कहा गया है कि जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और उपस्वास्थ्य केन्द्रों के अलावा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और मितानिनों के पास पर्याप्त मात्रा में जीवनरक्षक दवाईयों की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही सूचना तंत्र विकसित कर मौसमी बीमारियों पर सतत् निगरानी रखी जाए। जिले में मौसमी बीमारियों के रोकथाम और उपचार की कार्ययोजना मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास रहने चाहिए।
प्रदेश के अंदरूनी क्षेत्रों के गांवों पर ग्रीष्मकालीन बीमारियों के रोकथाम एवं उपचार के लिए प्राथमिकता के साथ पहल किया जाए। इस दिशा में मैदानी स्वास्थ्य अमले के द्वारा नियमित रूप से क्षेत्र भ्रमण कर मौसमी बीमारी की स्थिति पर निगरानी रखी जाये और किसी भी क्षेत्र में जानकारी मिलने पर तत्काल चिकित्सा दल के माध्यम से चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराया जाना चाहिए। ग्रामीणों को स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी आवश्यक जानकारी दिया जाए। शुद्ध पेयजल का उपयोग, गरम एवं ताजा भोजन का सेवन, स्वच्छता एवं साफ-सफाई तथा बीमार होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार कराये जाने का परामर्श ग्रामीणों को दिया जाये। स्वास्थ्य केन्द्रों में लू से पीडितों का उपचार करने लिए ओआरटी कॉर्नर/ओरल रिहाईड्रेशन थेरेपी स्थापित करते हुए बेड आरक्षित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये गए हैं। उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर ओआरएस सहित अन्य अति आवश्यक तथा आईवीफ्लूड/ग्लूकोस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गए हैं।