विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री ने दी जनता को बड़ी सौगात

श्री भूपेश बघेल शामिल हुये विश्व आदिवासी दिवस समारोह में



  • गांधी जयंती से कुपोषण मुक्ति अभियान का शुभारंभ
  • कुपोषण और एनीमिया पीड़ितों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन
  • आगामी 3 साल में प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य
  • प्री-मैट्रिक छात्रावास के छात्रों की बड़ी छात्रवृत्ति 700 रूपए से बढ़ाकर 1000



कोन्डगांव ए.। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ में विविध आयोजन राज्य के अलावा जिला स्तर पर की आयोजित की है। इसी कड़ी में गरिमापूर्ण ढंग से जिला मुख्यालय कोंडागांव में भी विश्व आदिवासी दिवस समारोह आयोजित की गई जिसमें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के अलावा उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री श्री अमरजीत भगत, बस्तर सांसद श्री दीपक बैज, कोण्डागांव विधायक श्री मोहन मरकाम सहित अनेक विधायक और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जनता को संबोधित करते हुये आज प्रदेशवासियों को बड़ी सौगात दी है। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीें जयंती के उपलक्ष्य पर आगामी 2 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ को कुपोषण से मुक्त करने के लिए प्रदेश के सभी आंकाक्षी जिलों में अभियान प्रारंभ करने की घोषणा की है। इस अभियान के तहत कुपोषण और एनीमिया से पीड़ितों को प्रतिदिन निःशुल्क पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाएगा। आगामी 3 साल में छत्तीसगढ़ को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में प्री-मैट्रिक छात्रावास के छात्रों की छात्रवृत्ति 700 रूपए से बढ़ाकर एक हजार करने, कॉलेज में सीट बढ़ाने की घोषणा की। वहीं मांझी, चालकियों का नाम जो छूट गए हैं उनके बारे में कैबिनेट में निर्णय लिए जाने की बात कही। 
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुपोषण मुक्ति का यह कार्यक्रम बीते जुलाई माह से बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों की चुनिंदा पंचायतों में संचालित हो रहा है। कुपोषण और एनीमिया मुक्ति के इस अभियान में जिलों में कार्यरत प्रतिष्ठित चेरिटेबल संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों, एनजीओ, मीडिया समूहों एवं अन्य समर्थ लोगों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों और समाज के सभी वर्गो से अभियान में सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।  मुख्यमंत्री ने कहा है कि नीति आयोग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राज्य में 5 साल से कम उम्र के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से तथा 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत बेटियां और माताएं एनीमिया से पीड़ित हैं। कुपोषण एवं एनीमिया के कारण देश में प्रतिवर्ष लाखों बच्चों की मौत हो जाती है, लाखों बच्चे जन्म के समय से ही कम वजन के होते हैं, उनकी ऊंचाई नहीं बढ़ती तथा उनके शारीरिक और मानसिक विकास की प्रक्रिया अवरूद्ध हो जाती है, इस तरह जन्म लेते ही उनकी नियति तय हो जाती है। इस विकट समस्या के निराकरण के लिए अत्यंत गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है।

राज्य सरकार ने प्रदेश को कुपोषण एवं एनीमिया की इस पीड़ा से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया है। इस कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायतों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कुपोषण एवं एनीमिया पीड़ितों की चिन्हांकित सूची अनुसार उनकी शारीरिक आवश्यकता तथा रूचि अनुरूप प्रतिदिन पौष्टिक भोजन निःशुल्क दिया जाएगा। इसके लिए आवश्यक राशि प्रतिमाह उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रतिदिन भोजन करने वालों का लेखा-जोखा रखा जाएगा।