'स्मृति हबीब तनवीर' में पोंगा पंडित व गॉंव के नॉंव ससुरार मोर नॉंव दमाद का होगा मंचन

छत्तीसगढ़ फिल्म एण्ड विजुअल आर्ट सोसायटी की 'स्मृति ​हबीब' एक श्रद्धांजलि



रायपुर ए। रंग जगत के एक युग माने जाने वाले प्रख्यात नाटककार हबीब तनवीर साहब की याद में 8 जून को स्मृति ​हबीब कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ फिल्म एण्ड विजुअल आर्ट सोसायटी द्वारा किया गया है। नगर के वृंदावन सभगार में शाम 7:30 से नाटकों का मंचन होगा यह जानकारी छत्तीसगढ़ फिल्म एण्ड विजुअल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष श्री सुभाष मित्र ने सोशल साइट के माध्यम से दी है। रायपुर में जन्मे हबीब तनवीर को उनकी पुण्यतिथि 8 जून को 'स्मृति हबीब तनवीर' के ज़रिये उनके द्वारा लिखित और पूर्व मे निर्देशित नाटक 'गाँव के नाव ससुरार मोर नाँव दमाद तथा पोंगा पंडित उर्फ़ जमादारिन के ज़रिये याद किया जा रहा है।

श्रीमती रचना मिश्रा के निर्देशन मे रायपुर के वृंदावन हाल मे यह प्रस्तुति की जायेगी। उन्होने आगे कहा कि पोंगा पंडित उर्फ़ जमादारिन नाटक छत्तीसगढ मे बहुत लम्बे समय से खेला जाता रहा है । हबीब तनवीर के नया थियेटर से जुडे ख्यातिनाम अभिनेता मदनलाल निषाद और भूलवाराम इसे 1935-36 से खेल रहे थे जिसे हबीब तनवीर ने 1958 मे देखा और बाद मे इसे अपने तरीक़े से लिखकर नया थियेटर से पूरे देश मे मंचित किया।
नाटक गाँव के नाव ससुरार मोर नॉंव दमाद के विषय में वे लिखते है कि नाटक छत्तीसगढ़ में शरद पूर्णिमा को मनाये जाने वाले छेर -छेरा त्यौहार के अवसर पर गाँव के लड़के झंगलु और लड़की मान्ती के बीच छेड़छाड़ से उपजी प्रेम की कहानी है। जहाँ मान्ती का पिता ग़रीब लड़के झंगलू की बजाय बूढ़े सरपंच से पैसे की ख़ातिर अपनी बेटी की शादी कर देता है। बाद मे झंगलू अपने साथियों की मदद से गौरा गौरी के त्यौहार के बीच देवार का भेष रखकर अपनी प्रेमिका मान्ती को भगा ले जाता है। अब यह नाटक नये पुराने रंगकर्मियो के साथ तैयार किया जा रहा है। नाटक के गीत संगीत नया थियेटर से जुडे कलाकार पूनम तिवारी ओर साथियों ने तैयार किया है।